भारतीय संस्कृति और परंपरा में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। यह पर्व गोसेवा, पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के प्रति मानव के कर्तव्यों की याद दिलाता है। इसी भाव के साथ वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व भाजपा किसान मोर्चा अध्यक्ष जोगिन्दर पुंडीर ने इस वर्ष भी अपने कांवली देहरादून स्थित निवास पर बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ गोवर्धन पूजा एवं गौसेवा कार्यक्रम का आयोजन किया।
पूरे कार्यक्रम में भक्ति, सेवा और सांस्कृतिक भावना का अनोखा संगम देखने को मिला। प्रातःकाल से ही पुंडीर निवास में श्रद्धालुओं और भाजपा कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटने लगी। गौपूजन, दीप प्रज्वलन, भजन-संकीर्तन और गोवर्धन पर्वत के प्रतीक स्वरूप पूजा का आयोजन विशेष आकर्षण का केंद्र रहा।
पुंडीर ने इस अवसर पर कहा कि वे स्वयं किसान परिवार से हैं और उनका परिवार पीढ़ियों से गौ-संरक्षण के कार्य में संलग्न रहा है। उन्होंने बताया कि उनके निवास पर एक छोटी लेकिन समर्पित गौशाला भी है, जहां वे दूध देने वाली गायों के साथ-साथ उन गायों की भी सेवा करते हैं जो अब दूध नहीं देतीं। उन्होंने कहा, “हमारा कर्तव्य है कि हम हर जीव का सम्मान करें। गौ केवल दूध देने वाली नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व और पर्यावरण के संतुलन का आधार है।”
उन्होंने आगे कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर धारण कर गोकुल वासियों की रक्षा की थी। यह घटना केवल धार्मिक कथा नहीं, बल्कि प्रकृति और समाज के प्रति संरक्षण की प्रेरणा भी है। पुंडीर ने कहा कि आज के समय में जब पर्यावरण असंतुलन और प्रदूषण मानवता के लिए चुनौती बन चुका है, तब गोवर्धन पूजा जैसे पर्व हमें प्रकृति संरक्षण का सशक्त संदेश देते हैं।
उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के गोसेवा और पर्यावरण के प्रति समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि उनकी प्रेरणा से देशभर में गोसंरक्षण और हरित क्रांति का नवजागरण हुआ है।
पूरे आयोजन में भक्ति संगीत, भोग प्रसाद वितरण और गौसेवा संकल्प समारोह ने वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने गौमाता की पूजा कर परिवार, समाज और राष्ट्र की समृद्धि की कामना की।
कार्यक्रम के समापन पर जोगिन्दर पुंडीर ने कहा, “गौ और प्रकृति हमारी संस्कृति की आत्मा हैं। यदि हम इनका सम्मान और संरक्षण करेंगे तो आने वाली पीढ़ियाँ भी स्वस्थ, समृद्ध और नैतिक भारत देखेंगी। गोवर्धन पूजा हमें यही सिखाती है कि मनुष्य और प्रकृति के बीच संतुलन ही सच्चा धर्म है।”