भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) के 63वें स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में संस्थान के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि आइआइपी जैसा संस्थान प्रदेश में होना गौरव की बात है। उन्होंने आइआइपी निदेशक डा. अंजन रे से अपेक्षा की कि वह प्रदेश के 10 सीमांत विकासखंडों को गोद लेने पर विचार करें।
स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान भी संस्थान ने प्रदेश को सहयोग किया। कोरोना के सैंपल की जांच के लिए लैब की स्थापना के साथ ही देहरादून, हरिद्वार, टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल व अल्मोड़ा में आठ आक्सीजन प्लांट आइआइपी की ओर से लगाए गए। अगर आइआइपी सरकार का आग्रह स्वीकार करे तो सीमांत क्षेत्रों के 10 विकासखंडों को गोद लेने से वहां ढांचागत विकास को बेहतर बनाया जा सकता है
मुख्यमंत्री ने बायोफ्यूल से हवाई जहाज के लिए ईंधन बनाने, वेस्ट कुकिंग आयल और प्लास्टिक से डीजल बनाने आदि तकनीक विकसित करने पर संस्थान की प्रशंसा की। इस दौरान उन्होंने संस्थान की ओर से विकसित विभिन्न तकनीक का अवलोकन किया और उन्हें मील का पत्थर बताया। कार्यक्रम में आइओसीएल के निदेशक (अनुसंधान एवं विकास) डा. एसएसवी रामकुमार, पूर्णिमा अरोड़ा, दुर्गेश पंत, सोमेश्वर पांडे आदि उपस्थित रहे।
ड्राई आइस मेकर से डीएनए व वैक्सीन को रखें सुरक्षित
डीएनए सैंपल को सुरक्षित रखने और सुरक्षित ढंग से एक से दूसरी जगह ले जाने के लिए कोल्डचेन को बरकरार रखना जरूरी होता है। तापमान -70 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं होना चाहिए। इसी तरह वैक्सीन और कोरोना जैसे सैंपल के लिए भी निम्न तापमान की जरूरत होती है। इस काम को आसान बनाने के लिए आइआइपी ने ड्राई आइस मेकर तैयार किया है।
इसके बारे में जानकारी देते हुए संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा. देबाशीष घोष ने बताया कि ड्राई आइस मेकर से आइस ब्रिक तैयार की जाती हैं। इन ब्रिक को किसी भी बाक्स और स्टोर रूम में जरूरत के मुताबिक रखकर तापमान कम किया जा सकता है। एक ब्रिक 24 घंटे तक ठोस अवस्था में रह सकती है। ड्राई आइस मेकर को काम करने के लिए सिर्फ एक सालिडिफाइड कार्बन डाईआक्साइड के सिलिंडर की जरूरत पड़ती है। इसके माध्यम से यह कार्बन डाईआक्साइड की मदद से आइस ब्रिक तैयार कर देता है। ड्राई आइस मेकर की कीमत महज चार हजार रुपये है।