देहरादून। बिना मेहनत, मजा पूरा और कमाई भी चोखी। शायद यही ‘चारा’ फेंककर नशे के धंधेबाज बेरोजगार युवाओं को अपने जाल में फांस रहे हैं। पुलिस के आंकड़े बता रहे कि ढाई साल में नशे के धंधे में पकड़े गए कुल 1415 अभियुक्तों में से 832 काम की तलाश में भटकने वाले बेरोजगार हैं। इनमें ज्यादातर आरोपित युवा, छात्र या फिर गरीब तबके के हैं। कुछ युवाओं को तो पता तक नहीं होता कि वे जिसकी सौदेबाजी कर रहे हैं, वह ‘मीठी मौत’ की पुड़िया है। आपको ये भी बताते हैं कि कैसे नशे के सौदागर युवाओं को अपने जाल में फांस रहे हैं….
पिछले आठ माह में पुलिस ने जो मामले पकड़े हैं वह तस्दीक कर रहे हैं कि राजधानी में नादान कदम नशे से बेदम होते जा रहे हैं। पुलिस ने 428 ऐसे आरोपितों को गिरफ्तार किया, जो खुद नशे का आदी होने के साथ-साथ नशे के धंधे से भी जुड़े हुए हैं। चिंताजनक बात ये है कि इन 428 आरोपितों में से 259 युवा व किशोर हैं। वहीं, वर्ष 2020 में गिरफ्तार 431 आरोपितों में से 227 स्कूल व कालेज के छात्र या युवा थे। इनमें छात्राएं भी शामिल थीं।
ढाई साल में नशे की सौदेबाजी में पकड़े गए अभियुक्त
वर्ष, अभियुक्त, बेरोजगार, बाहरी
2021, 428, 259, 126
2020, 431, 227, 107
2019, 556, 346, 143
पहले मुफ्त फिर कीमत चार गुना
नशे की लत लगाने के लिए धंधेबाजों का फंडा भी गजब है। वह पहले मुफ्त में नशा उपलब्ध कराते हैं और जब किशोर व युवा इसकी जकड़ में आ जाते हैं तो उनसे चार गुना कीमत वसूली जाती है।
सिर्फ छुटभैय्या पर पुलिस कार्रवाई
नशे का नेटवर्क तोड़ने के नाम पर पुलिस कुछ छुटभैय्या को गिरफ्तार कर गुडवर्क दर्शा देती है। आठ माह के दौरान पकड़ में आए 259 आरोपितों में ज्यादातर एजेंटों के तौर पर काम करने वाले थे। पुलिस ने अपना एक एंटी नारकोटिक्स सेल भी बनाया था, मगर तबादले-दर-तबादले के चलते सेल कभी अस्तित्व में आया ही नहीं।
उप्र और हिमाचल प्रदेश हैं गढ़
दून में पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में खुलासा किया कि वह मादक पदार्थों की खेप उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से लाते हैं। पुलिस के अनुसार नशे की दवाओं का गढ़ उत्तर प्रदेश का बरेली, मुरादाबाद, बिजनौर, मेरठ, सहारनपुर और मुजफ्फरनगर है। चरस, स्मैक, हेरोइन, ड्रग पेपर का गढ़ हिमाचल प्रदेश का मनाली व शिमला बताया जाता है।
कैसे करें बच्चे का बचाव
-बच्चों में आत्म निर्भरता और आत्म अनुशासन की आदत डालें
-बच्चे में खुद फैसले लेने और सही गलत में अंतर करने की क्षमता पैदा करें
-समय-समय पर उससे परेशानियों के बारे में पूछें और डांटने के बजाए उसकी मदद करें
-टोकाटोकी के बजाए उसकी परेशानी समझने की कोशिश करें
-लगातार संवाद बनाए रखें, उसके दोस्तों से मिलें व उनके संबंध में जानकारी रखें
मनोचिकित्सक डा. स्वाति मिश्रा बताती हैं कि लुक, पढ़ाई और आर्थिक स्थिति को लेकर कुंठा, पढ़ाई का दबाव, परिवार का बार-बार खर्च की बात करके अच्छे नंबर लाने का दबाव, प्रेम संबंधों में असफलता व प्रयोग के लिए नशीले पदार्थों का सेवन किशोरों व युवाओं को नशे के गिरफ्त में ले आता है। कम उम्र में नई-नई चीजों के प्रति स्वाभाविक जिज्ञासा होती है। ऐसे में गलत दोस्तों का साथ नशे की ओर धकेल सकता है। परिवार से दूर रह रहे किशोरों व युवाओं को आजादी का अहसास भी उन्हें नशे की गिरफ्त में ले जाता है।